भगवंत मान द्वारा किसानों को वातावरण हितैषी और आर्थिक तौर पर फायदेमंद धान की सीधी बीजाई की तकनीक अपनाने की अपील
पंजाब
किसानों को धान की रिवायती बीजाई की जगह सीधी बीजाई की तरफ प्रेरित करने के लिए अलग-अलग किसान जत्थेबंदियों से सहृदय सहयोग की की मांग
चंडीगढ़…….राज्य में पानी के तेज़ी से घट रहे स्तर को प्रभावी ढंग से निपटने के मद्देनज़र पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने रविवार को किसानों को इस खरीफ सीजन के दौरान धान की सीधी बीजाई (डी.एस.आर.) की तकनीक को बड़े स्तर पर अपनाने की अपील की।
आज दोपहर पंजाब भवन में संयुक्त किसान मोर्चा (एस.के.एम.) के कोआर्डीनेटर डॉ. दर्शन पाल के नेतृत्व में हुई मीटिंग की अध्यक्षता करते हुये भगवंत मान ने मीटिंग में उपस्थित 23 किसान जत्थेबंदियों के नुमायंदों से राज्य सरकार को कृषि क्षेत्र के लिए चरणबद्ध ढंग से बिजली की सप्लाई मुहैया करवाने के लिए सुझाव माँगे जिससे किसानों को डी.एस.आर. तकनीक और रिवायती ढंग से धान की फ़सल बीजने के दौरान बिजली की बेहतर सुविधा मिल सकेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि चरणबद्ध ढंग से बिजली सप्लाई का यह प्रस्ताव धान की बीजाई के दौरान बिजली के पीक लोड से बचने में बहुत मददगार साबित होगा। उन्होंने सुझाव देते हुये कहा कि पी.एस.पी.सी.एल. के द्वारा क्षेत्र की माँग अनुसार बराबर बिजली सप्लाई यकीनी बनाई जाये और इस तरह पूरे राज्य को चार जोनों में बांटा जाये। मान ने अधिकारियों को यह भी हिदायत की कि पानी और बिजली की बचत करने के मद्देनज़र किसानों को धान के सीजन के दौरान डी.एस.आर. तकनीक अपनाने के लिये गाँव-गाँव जाकर प्रेरित किया जाये।
इससे पहले भारती किसान यूनियन एकता उगराहां के प्रधान जोगिन्द्र सिंह उगराहां के नेतृत्व अधीन मुख्यमंत्री के साथ उनकी रिहायश पर मुलाकात की गई और राज्य में डीएसआर तकनीक के साथ धान की बीजाई करने संबंधी उनसे विचार लिए।
पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी के माहिरों द्वारा किये अध्ययन के नतीजों पर गहरी चिंता ज़ाहिर करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि धान की बीजाई से वातावरण हितैषी और आर्थिक तौर पर लाभप्रद डीएसआर तकनीक की तरफ मुड़ने का यह उपयुक्त समय है, क्योंकि भूजल को 15 से 20 फीसद तक बचाने में सहायक होगा। इसके साथ ही भूजल को 10-15 फीसद तक रिचार्ज भी किया जा सकेगा और इसके साथ धान की बुवाई के दौरान लेबर समेत लागत खर्च पर लगभग 3000 रुपए प्रति एकड़ की बचत होगी।
किसानों को गन्ना, मक्का, दालें और तेल बीजों जैसी वैकल्पिक फसलों की बीजाई के द्वारा खेती विभिन्नता की ओर प्रेरित करने के लिए भगवंत मान ने किसानों को भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार इन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य का मामला केंद्र सरकार के समक्ष उठाएगी। उन्होंने कहा कि मार्कफैड्ड जैसी प्रांतीय एजेंसियों को भी उपरोक्त वैकल्पिक फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद करने के लिए शामिल किया जायेगा। उन्होंने किसानों को कम समय में पक कर तैयार होने वाली धान की किस्मों पी.आर. 126 और पी.आर. 121 की बीजाई करने की अपील करते हुये कहा कि पूसा-144 किस्म कीबीजाई को हतोत्साहित किया जाना चाहिए। भगवंत मान ने किसान यूनियनों के नुमायंदों को कहा कि ज़मीनी स्तर पर किसानों को बासमती लगाने के लिए उत्साहित किया जायेगा क्योंकि यह फ़सल धान के मुकाबले पानी का कम उपभोग करने के साथ-साथ अच्छा मूल्य भी देती है। उन्होंने किसानों को भरोसा दिया कि राज्य सरकार बासमती की खरीद के लिए मंडीकरण के लिए हर संभव सहयोग करेगी।
नहरी सिंचाई को बहाल करने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुये मुख्यमंत्री ने जल स्रोत विभाग को नदियों, नहरों और सहायक नदियों(कसियों) की सफ़ाई के लिए तुरंत विस्तृत कार्य योजना बनाने के आदेश दिए जिससे टेलों तक पानी की पहुँच यकीनी बनाई जा सके।
मीटिंग में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. विजय सिंगला, मुख्य सचिव अनिरुद्ध तिवारी, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव ए. वेणू प्रसाद, जल स्रोत के अतिरिक्त मुख्य सचिव सरवजीत सिंह, वित्त कमिशनर कृषि डी.के. तिवारी, चेयरमैन-कम-मैनेजिंग डायरैक्टर पावरकॉम बलदेव सिंह सरा, सचिव कृषि दिलराज सिंह, सचिव राजस्व मनवेश सिंह सिद्धू और कृषि डायरैक्टर गुरविन्दर सिंह उपस्थित थे।
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