दुनिया के सभी पत्रकारों के गुरु हैं भगवान देवऋषि नारद : विकास गर्ग

देहरादून
राष्ट्रीय पत्रकार यूनियन उत्तराखंड (रजि0) के प्रदेश महामंत्री (संस्थापक) विकास गर्ग ने कहा कि समाज और देश को बेहतर बनाने मे पत्रकारिता का बड़ा योगदान है। उन्होने कहा कि किसी भी क्षेत्र मे क्रांति लाने मे पत्रकारो और पत्रकारिता का बड़ा योगदान होता है, लेकिन क्रांति केवल लिखने से नही, बल्कि उस विषय को आत्मसात् करके भी आगे बढ़ा जा सकता है। उन्होने कहा कि उत्तराखण्ड निर्माण मे पत्रकारो का बड़ा योगदान है। आजादी के आंदोलन से लेकर देश मे विभिन्न मौको पर हुये आंदोलनो को सफल बनाने मे पत्रकारो और समाचार पत्रो का बड़ा योगदान रहा है।
इसलिए कहलाते हैं पत्रकार
नारद मुनि को निरंतर चालायमान और भ्रमणशील होने का वरदान मिला है। इसके कारण वे हर समय तमाम लोकों में भ्रमण करते रहते हैं और वहां के हालातों का जायजा लेते रहते हैं।
वे जब भी किसी लोक में जाते हैं, तो वहां के दुख और सुख की सूचना को भगवान नारायण तक पहुंचाते है।इसका मकसद सिर्फ लोगों का कल्याण होता है। एक पत्रकार का काम होता है दो लोगों के बीच संवाद बनाना और विचारों के बीच मध्यस्तता करना। नारद जी इस काम को बखूबी निभाते आए हैं। इसलिए उन्हें सृष्टि का पहला पत्रकार कहा जाता है।
विकास गर्ग ने कहा लोकतंत्र के एक मजबूत स्तम्भ की साख आज दांव पर है। पत्रकारिता जो एक महत्वपूर्ण कड़ी है सरकार और जनता के बीच. समाज में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि यह जनता और सरकार के बीच सामंजस्य बनाने में मदद करता है. लेकिन ये अब ऐसे स्तर पे आ गया है जहां लोगों का भरोसा ही इस पर से खत्म होता जा रहा. इसका अत्यधिक व्यावसायीकरण ही शायद इसकी इस हालत की वजह है. पर जहां तक मैं सोचता हूं इसके लिए अनेक कारक हैं जो इस दुर्दशा के लिए जिम्मेदार हैं. सोशल साइट्स, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और इंटरनेट के जमाने में प्रिंट मीडिया कमजोर हो चला। क्योंकि व्हाट्सएप्प, ट्विटर और फेसबुक पर हर समाचार बहुत ही तेज़ी से फ़ैल जाता है और मिर्च मसाला लगाने में भी आसानी हो जाती है।
खबरे वायरल का फैशन चल पड़ा है तो कौन सुबह तक इंतज़ार करेगा? सभी समाचार पत्रों के ऑनलाइन एडिशन भी आ गए हैं पर उतने लोकप्रिय नहीं हैं, सभी अब फेसबुक का सहारा लेते हैं. क्या डिजिटल युग का आना ही इसकी लोकप्रियता कम होने का एकमात्र कारण है? न्यूज चैनलों की बाढ़ सी आ गयी है पर आज सच्ची और खोजी पत्रकारिता में गिरावट आ गयी, सभी मीडिया हॉउस राजनितिक घरानों से जुड़े हुए हैं, टीआरपी बढ़ाने की होड़ लगी है, ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा आम है, देश की चिंता कम विज्ञापनों की ज्यादा है. ये कारण भी इसके लिए कम जिम्मेदार नहीं।