चुनाव के छठें चरण में 57 सीटों के लिए गुरुवार को मतदान होना है, इसे लेकर सभी दल बेहद गंभीर
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के छठे चरण का चुनाव प्रचार मंगलवार शाम छह बजे थम गया। अब तीन मार्च (गुरुवार) को स्वतंत्र, निष्पक्ष, पारदर्शी तरीके से मतदान कराने के लिए आवश्यक तैयारियां पूरी की जा रही हैं। इस चरण में 10 जिलों की 57 सीटों के लिए तीन मार्च को सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक मतदान होगा। दस जिलों में आंबेडकर नगर, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीर नगर, महाराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया व बलिया की विधान सभा सीटें आती हैं। हर पोलिंग बूथ पर मतदाताओं को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े, इसकी समुचित व्यवस्था कराने के लिए प्रशासन को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं। बुधवार को मतदान कराने को पोलिंग पार्टियां रवाना की होंगी।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के सात में से पांच चरणों का मतदान हो चुका है। चुनाव अब ढलान की ओर है, लेकिन प्रत्याशी ऐसे मैदान में हैं कि चुनावी सिरगर्मी उफान पर है। अब किसी भी दल के लिहाज से देख लिया जाए, छठवें चरण में तो नाक की लड़ाई नजर आ रही है। चूंकि, भाजपा यह चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर लड़ रही है और वह गोरखपुर शहर सीट से प्रत्याशी हैं, इसलिए पूरी पार्टी की प्रतिष्ठा इससे जुड़ गई है। इसी तरह नेता प्रतिपक्ष और सपा के दिग्गज रामगोविंद चौधरी के अलावा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और बसपा प्रदेश अध्यक्ष उमाशंकर सिंह की सीट पर भी इसी चरण में मतदान होना है। सभी की नजर फाजिलनगर पर भी टिकी है, क्योंकि योगी सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा को मिट्टी में मिलाने की हुंकार के साथ इस बार सपा प्रत्याशी के रूप में ताल ठोंक रहे हैं।
विधानसभा चुनाव के छठवें चरण में 57 सीटों के लिए गुरुवार को मतदान होना है। इसे लेकर सभी दल बेहद गंभीर हैं। इसकी बड़ी वजह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। वह गोरखपुर शहर सीट से भाजपा के प्रत्याशी हैं। भाजपा चाहती है कि योगी की न सिर्फ जीत हो, बल्कि सर्वाधिक मतों के अंतर से विजय मिले। सपा ने उनके सामने सुभावती शुक्ला को प्रत्याशी बनाया है। सपा की रणनीति सवर्ण वोट में हिस्सेदारी के साथ मुस्लिम-यादव गठजोड़ की ताकत से लड़ने की थी, लेकिन बसपा से ख्वाजा शम्सुद्दीन के उतर जाने से मुस्लिम मतों में सेंध यूं ही लगती दिख रही है। इस वीवीआइपी सीट से भाजपा की प्रतिष्ठा जुड़ी है तो सपा के लिए इस चरण में दो सीटें ज्यादा अहम हैं।
बलिया की बांसडीह सीट से नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी सपा प्रत्याशी हैं। आठ बार विधायक चुने जा चुके दिग्गज रामगोविंद की राह में रोड़ा अटकाने के लिए भाजपा ने केतकी सिंह को उतार दिया है, जिन्होंने 2017 में भाजपा से टिकट न मिलने पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चौधरी की ऐसी टक्कर दी थी कि वह महज 1687 वोटों से ही जीत पाए थे। इस बार केतकी के साथ भाजपा का मजबूत संगठन और मोदी-योगी का प्रभाव भी है।
वहीं, इटवा विधानसभा सीट से योगी सरकार के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी मैदान में हैं तो उनसे मुकाबले में सपा के कद्दावर नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय खड़े हैं। ऐसे में दोनों की हार-जीत से दलों की प्रतिष्ठा भी जुड़ गई है। इसके अलावा सपा के लिए फाजिलनगर सीट भी महत्वपूर्ण है। यहां उसने स्वामी प्रसाद मौर्य पर दांव चला है, जो कि योगी सरकार में मंत्री थे और बगावत कर सपा में शामिल हो गए। स्वामी ने सभी मंचों से दावा किया है कि जब वह बसपा में थे तो बसपा की सरकार बनी और 2017 में भाजपा को भी प्रचंड जीत उन्होंने ही दिलाई। इस बार वह भाजपा का सूपड़ा साफ कर देंगे। स्वामी की हार-जीत से सपा ही नहीं, भाजपा की भी नाक की लड़ाई जुड़ गई है।
इसी तरह कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे के रूप में प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ही मैदान में हैं। वह कुशीनगर की तमकुहीराज सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके लिए चुनौती यह बढ़ गई है कि कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह अब भाजपा में हैं। उनका प्रभाव पडरौना के साथ ही आसपास की तमाम सीटों पर है। क्षेत्र में उनका प्रभाव रहा है, जिससे न सिर्फ लल्लू को जूझना है, बल्कि पडरौना की पुरानी सीट छोड़कर फाजिलनगर से चुनाव लड़ने पहुंचे स्वामी प्रसाद मौर्य को भी पार पाना है। वहीं, बसपा प्रत्याशियों में प्रमुख नाम रसड़ा से चुनाव लड़ रहे उमाशंकर सिंह का है। वह अब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। उनकी हार-जीत बसपा के लिए बहुत मायने रखती है।
बलिया में बगावत की आंच : भाजपा की प्रतिष्ठा बलिया में अड़ी है। यहां सीटों में फेरबदल कर पार्टी ने प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह को तो बलिया से प्रत्याशी बना दिया और मौजूदा विधायक व राज्यमंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला को नई सीट बैरिया से उतार दिया। इस फेरबदल में विधायक सुरेंद्र सिंह का टिकट काट दिया गया। सुरेंद्र सिंह अब वीआइपी प्रत्याशी के रूप में भाजपा के सामने इसी सीट पर चुनौती बनकर खड़े हो गए हैं।
ये सात मंत्री भी मैदान में….
देवरिया की पथरदेवा सीट से कृषि मंत्री व भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सूर्यप्रताप शाही।
सिद्धार्थनगर के बांसी सीट से स्वास्थ्य मंत्री जयप्रताप सिंह।
गोरखपुर के खजनी से उद्यान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीराम चौहान।
बलिया की फेफना सीट से खेल एवं युवा कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) उपेंद्र तिवारी।
सिद्धार्थनगर की इटवा से बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा. सतीश चंद्र द्विवेदी।
बलिया की बैरिया सीट से ग्राम्य विकास राज्यमंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला।
गोरखपुर के चौरीचौरा विधानसभा क्षेत्र से पशुधन राज्यमंत्री जय प्रकाश निषाद