तबादला सीजन शुरू होते ही सरकारी विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों ने मंत्रियों व महानुभावों से सिफारिश करानी शुरू कर दी है। सिफारिशों की ऐसी बाढ़ आ चुकी है कि सरकारी तंत्र इनसे तंग आ चुका है। नतीजा यह है कि अब शासन के स्तर पर विभागीय कर्मचारियों को अनुशासनिक कार्रवाई की चेतावनी जारी करनी पड़ रही है।
तबादला एक्ट के खिलाफ मंत्रियों व महानुभावों की ऐसी सिफारिशों से लोक निर्माण विभाग भी परेशान है। सिफारिशों का इस कदर दबाव है कि शासन को इस संबंध में आदेश जारी करना पड़ा है। अपर सचिव लोनिवि विनीत कुमार ने प्रमुख अभियंता को जो निर्देश जारी किए हैं, उनमें मंत्रियों व महानुभावों की किसी भी तरह सिफारिश को अनुशासनहीनता माना गया है।
आदेश में वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम की धारा 24 व 24 क का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है, जिनके तहत तबादला रोकने के लिए प्रत्यावेदन एवं सिफारिश कराना उत्तराखंड राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली के विरुद्ध होगा। शासन के इस आदेश से लोनिवि के इंजीनियरों और कर्मचारियों में खलबली है।
रिश्तेदारों के पत्र पर मंत्री से कराते हैं सिफारिश
लोनिवि ही नहीं सभी विभागों में तबादला रुकवाने के लिए यह प्रवृत्ति आम हो गई है कि कतिपय इंजीनियर, डॉक्टर, शिक्षक, कर्मचारी उचित माध्यम से आवेदन करने के बजाय मंत्रियों व महानुभावों से सिफारिश कराते हैं। वे अपनी पत्नी या अन्य रिश्तेदार के माध्यम से लिखाए गए पत्र पर मंत्री से सिफारिश कराते हैं। कुछ मामलों में उच्चाधिकारियों को मंत्रियों से फोन पर सिफारिश कराई जाती है।
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सिफारिश आई तो होगी कार्रवाई
विभाग प्रमुखों को हिदायत जारी की गई है कि वे अधिकारियों व कर्मचारियों को सचेत कर दें कि भविष्य में यदि मंत्री से पत्र या दूरभाष पर सिफारिश कराई गई तो इसे उनकी मौन स्वीकृति माना जाएगा और उनके उनके खिलाफ प्रचलित नियमों के तहत अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी।