अल्मोड़ा जेल के नेहरू वार्ड को पर्यटकों के लिए खोलने की कवायद तेज

 

उत्तराखंड के अल्मोड़ा की ऐतिहासिक जेल 1872 में अंग्रेजों द्वारा स्थापित की गयी थी

एसबीटी न्यूज़ उत्तराखंड

अल्मोड़ा। उत्तराखंड के अल्मोड़ा की ऐतिहासिक जेल 1872 में अंग्रेजों द्वारा स्थापित की गयी थी। यह जेल अगस्त क्रांति की प्रमुख गवाह रही है। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू हरगोविन्द पंत, विक्टर मोहन जोशी, देवी दत्त पंत, आर्चाय नरेन्द्र देव, बद्री दत्त पांडेय, खान अब्दुल गफ्फार खां, सैय्यद अली जहीर और दुर्गा सिंह रावत सहित 476 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जेल में निरुद्ध रहे थे। हालांकि इस वक्‍त जेल नेहरू वार्ड को खोलने की कवायद को लेकर चर्चा में है।

जेल अधीक्षक संजीव सिंह कहा कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू दो बार इस जेल में बंद रहे। जबकि उन्‍होंने अपनी बुक ‘मेरी आत्मकथा’ के कुछ अंश भी इसी जेल में लिखे थे। इसके अलावा उनकी चारपाई, कुर्सी, चरखा और खाने के बर्तन जेल के वार्ड में आज भी हैं। वहीं, नेहरू वार्ड को पर्यटकों के लिए खोलने का प्रस्ताव शासन को भेजा है।

जिले के प्रभारी मंत्री बिशन सिंह चुफाल का कहना है कि अल्मोड़ा की जेल ऐतिहासिक है। मुझे जेल में जाने का मौका मिला है। जेल अगस्त आजादी की गवाह है। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पीसी तिवारी का कहना है कि भाजपा और कांग्रेस सत्ता में आने के बाद पर्यटक स्थलों की तरफ ध्यान नहीं रख रहे हैं।

सरकार को पर्यटकों के लिए नेहरू वार्ड को खोलना चाहिए, जिससे आने वाली पीढ़ी को जेल के इतिहास के बारे में जानकारी मिल सके। हर लाल नेहरू दो बार इस जेल में निरुद्ध रहे। इसके साथ ही कई स्वतंत्रता संग्रास सेनानी इस जेल में रहे हैं। नेहरू वार्ड को पर्यटकों के लिए खोलने की योजना बनायी जायेगी।

बता दें कि राज्य बनने के बाद ही अल्मोड़ा के नेहरू वार्ड को पर्यटकों के लिए खोलने की मांग समय-समय पर उठती रही, लेकिन भाजपा और कांग्रेस बारी-बारी से सत्ता का खुश भोगने के बाद योजना को फाइलों में दौडाते रहे, लेकिन अगस्त क्रांति की गवाह रही जेल को पर्यटकों के लिए नहीं खोला जा सका है।

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