महान धावक मिल्खा सिंह का निधन
विश्व में देश का गौरव बढ़ाने वाले महान धावक ‘पद्मश्री’ से सम्मानित ‘फ्लाइंग सिख’ मिल्खा सिंह का निधन
खेल जगत में उनका योगदान सदैव याद रखा जाएगा। जिद और जुनून से भरा उनका जीवन सभी के लिए एक प्रेरणा है।
देश के लिए बेहद दु:खद एवं अपूरणीय क्षति ,नही रहे महान धावक ‘पद्मश्री’ से सम्मानित ‘फ्लाइंग सिख’ मिल्खा सिंह। कोरोना संक्रमित होने के बाद करीब एक महीने से जूझ रहे पूर्व ओलंपियन पद्मश्री मिल्खा सिंह का शुक्रवार देर रात पीजीआई चंडीगढ़ में निधन हो गया।
मिल्खा सिंह 91 वर्ष के थे। वह 91 वर्ष के थे। फ्लाइंग सिख के नाम से दुनिया भर मे मशहूर मिल्खा सिंह 19 मई को कोरोना संक्रमित मिले थे। इसके बाद फोर्टिस अस्पताल मोहाली में भर्ती रहे। बाद में परिजनों के आग्रह पर अस्पताल से छुट्टी लेकर चंडीगढ़ में सेक्टर-8 स्थित आवास पर ही इलाज करा रहे थे।
रविवार 13 जून को उनकी 85 वर्षीया पत्नी और भारतीय वॉलीबॉल टीम की पूर्व कप्तान निर्मल कौर ने भी कोरोना संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया था। पत्नी के निधन की उन्हें जानकारी नहीं दी गई, लेकिन उन्हें इसका अहसास गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
मिल्खा सिंह 19 मई को कोरोना वायरस की चपेट में आए थे। उनके पारिवारिक रसोइए को कोरोना हो गया था, जिसके बाद मिल्खा सिंह और उनकी पत्नी निर्मल कौर कोरोना पॉजिटिव हो गए थे। इसके बाद उन्हें 24 मई को उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उन्हें 30 मई को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी।
इसके बाद 03 जून को ऑक्सीजन स्तर में गिरावट के बाद उनहें पीजीआईएमईआर के नेहरू हॉस्पिटल एक्सटेंशन में भर्ती करवाया गया। गुरुवार को उनकी कोरोना की रिपोर्ट निगेटिव आ गई थी। उनकी हालत शुक्रवार शाम को ज्यादा खराब हो गई थी और बुखार के साथ आक्सीजन भी कम हो गई थी। हालांकि, गुरुवार की शाम से पहले उनकी हालत स्थिर हो गई थी।
चार बार के एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता मिल्खा ने 1958 राष्ट्रमंडल खेलों में भी पीला तमगा हासिल किया था। उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन हालांकि 1960 के रोम ओलंपिक में था जिसमें वह 400 मीटर फाइनल में चौथे स्थान पर रहे थे। उन्होंने 1956 और 1964 ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया।
उन्हें 1959 में पद्मश्री से नवाजा गया था। उनके जीवन पर आधारित बॉलीवुड में-भाग मिल्खा भाग, फिल्म भी बनाई गई थी। जो काफी मशहूर हुई। खेल जगत में उनका योगदान सदैव याद रखा जाएगा। जिद और जुनून से भरा उनका जीवन सभी के लिए एक प्रेरणा है।