Even After Cabinet Proposal Government Order For Reorganization Of The Language Institution Was Not Issued – Amar Ujala Hindi News Live
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मीटिंग ( फाइल फोटो)
– फोटो : अमर उजाला
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स्थानीय बोली भाषा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बने भाषा संस्थान के ढांचे का पुनर्गठन होना है, लेकिन धामी मंत्रिमंडल के इसके प्रस्ताव को मंजूरी देने के सात महीने बाद भी इसका शासनादेश नहीं हुआ। यही वजह है कि संस्थान स्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति न होने से पीआरडी और उपनल के 14 अस्थायी कर्मचारियों के भरोसे चल रहा है।
उत्तराखंड भाषा संस्थान का न अपना मुख्यालय भवन है, न ही वर्षों बाद इसमें स्थायी कर्मचारियों और अधिकारियों की नियुक्ति हो पाई है। धामी मंत्रिमंडल ने इसी साल 14 फरवरी को भाषा संस्थान एवं अकादमियों के विभागीय ढांचे के पुनर्गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, लेकिन इसका शासनादेश न होने से संस्थान में सहायक निदेशक, प्रकाशन अधिकारी, शोध अधिकारी समेत 42 अधिकारियों, कर्मचारियों के पद सृजित नहीं हो पाए हैं।
हालांकि, भाषा संस्थान की ओर से संस्थान में अधिकारियों, कर्मचारियों के 52 पद सृजित करने का प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन कैबिनेट ने 42 पद सृजित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि यदि संस्थान में स्थायी अधिकारी, कर्मचारी मिलते तो स्थानीय बोली, भाषा को बढ़ावा देने के काम को गति मिलती। विभागीय सचिव विनोद प्रसाद रतूड़ी के मुताबिक, कैबिनेट से जिस प्रस्ताव को मंजूरी मिली, वह अभी वित्त में हैं।
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उधर, भाषा संस्थान की निदेशक स्वाति भदौरिया के मुताबिक, भाषा संस्थान में स्थायी कर्मचारी न होने से पीआरडी और उपनल के अस्थायी कर्मचारियों से काम लिया जा रहा है। कहा, हालांकि, संस्थान में उप निदेशक व वित्त अधिकारी का भी पद हैं, लेकिन उन्हें इसका अतिरिक्त प्रभार मिला हुआ है। कहा, शासनादेश होने के बाद संस्थान को स्थायी कर्मचारी और अधिकारी मिलेंगे।
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