मूक और बधिर दिव्यांगों की भारतीय सांकेतिक भाषा सबंधी एक दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित

मूक और बधिर दिव्यांगों की भारतीय सांकेतिक भाषा सबंधी एक दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित

चंडीगढ़……स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग पंजाब द्वारा बहरेपन की रोकथाम और नियंत्रण के लिए चलाए जा रहे राष्ट्रीय प्रोग्राम के अधीन श्रवण शक्ति सबंधी विश्व दिवस के मौके पर संगीता हैड एंड आई फाउंडेशन के सहयोग से मोहाली में पंजाब के समूह जिलों के मास मीडिया अफ़सरों और ब्लाक एक्स्टेंशन ऐजूकेटरों को मूक और बधिर दिव्यांग व्यक्तियों की सांकेतिक भाषा (आई.एस.ऐल) का एक दिवसीय विशेष प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।

इस मौके पर असिस्टेंट डायरैक्टर डॉ. बलजीत कौर ने सांकेतिक भाषा के प्रशिक्षण सबंधी जानकारी देते हुये बताया कि भारतीय सांकेतिक भाषा मूक और बधिर व्यक्तियों की प्राथमिक भाषा है। जिसकी पूर्ण तौर पर अपनी एक व्याकरण और रचना है। किसी भी क्षेत्र की भाषा ही है जो हरेक को अपनी पहचान संस्कृति और आत्म-निर्भरता प्रदान करती है। अन्य भाषाओं की तरह सांकेतिक भाषा का भी समान महत्व है।

आई.एस.ऐल. के इंटरप्रेटर (द्विभाषिया) श्री हितेश ने कहा कि यह सांकेतिक भाषा के द्वारा मूक बधिक दिव्यांग एक दूसरे के साथ, पारिवारिक सदस्यों और समाज में संचार करते हैं और सांकेतिक भाषा संबंधी जानकारी हासिल करके ही विचारों के अदान-प्रदान की रुकावट को दूर किया जा सकता है। हमें ऐसे लोगों को तरस की नज़र से नहीं देखना चाहिए, बल्कि सचेत होकर सांकेतिक भाषा का प्रशिक्षण और जागरूकता फैलाव कर उनकी बातचीत जाननी चाहिए और उनको उपयुक्त सलाह देनी चाहिए। मूक और बधिर दिव्यांग व्यक्ति भी हमारे समाज का अटूट अंग हैं।

इस मौके पर स्टेट मास मीडिया ब्रांच के प्रमुख परमिन्दर सिंह और प्रशिक्षण कोआर्डीनेटर जगजीवन शर्मा ने समूह ज़िला स्तर से प्रशिक्षण प्राप्त करने आए अधिकारियों को इस विषय सबंधी अपने-अपने ज़िलो में जाकर पैरा-मैडीकल और मैडीकल स्टाफ को जानकारी देने के लिए वचनबद्ध किया जिससे इस विषय सबंधी जानकारी घर-घर पहुंचायी जा सके।

इस मौके पर प्रशिक्षण में भाग लेने आए सदस्यों में से ब्लॉक एक्स्टेंशन ऐजूकेटर डा. चावला और स्वाती सचदेवा ने प्रशिक्षण को बहुत ही लाभदायक और सफल बताया।

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed