सेना भर्ती के लिए ‘अग्निपथ’ योजना मोदी का नया जुम्ला व ढकोसला : बीबा राजविंदर कौर राजू

पंजाब

मौजूदा आरक्षण नीति में संशोधन के बिना ‘अग्निवीरों’ को प्राथमिकता नहीं मिलेगी : महिला किसान यूनियन

 

कहा, हथियारों से शिक्षित ‘बेरोजगार सेना’ के लिए खतरे की घंटी

जालंधर

तीनों सेनाओं के लिए मोदी सरकार की अस्थायी भर्ती योजना ‘अग्निपथ’ के जरिए वोट की राजनीति के लिए लोगों के बीच प्रचार किये जा रहे कोरे झूठ और धोखेबाज़ी का परदाफाश करते हुए महिला किसान यूनियन ने कहा है कि चार साल बाद सेना से ‘अग्निवीर’ के रूप में बेरोजगार होने वाले युवाओं को अन्य लालच के अलावा, केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा नई नौकरियों में प्राथमिकता देने का ऐलान भाजपा के एक नए जुम्ले व ढकोसले से ज्यादा कुछ नहीं है क्योंकि किसी भी सरकार के लिए मौजूदा आरक्षण नीति के तहत ऐसी कानूनन तरजीह देना संभव ही नहीं है।

 

आज यहां पत्रकारों से बात करते हुए महिला किसान यूनियन की अध्यक्ष बीबा राजविंदर कौर राजू ने कहा कि प्रत्येक राज्य सरकार और केंद्र की एक संवैधानिक और वैधानिक भर्ती नीति है जो पहले से ही देश में कानूनी रूप से लागू है और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदित है। इसी भर्ती प्रक्रिया के तहत विभिन्न जातियों, श्रेणियों, वर्गों और जनजातियों के लिए पूर्व-स्थापित आरक्षण नीति के अनुसार नौकरियां दी जाती है लेकिन इन ‘अग्निवीरों’ के लिए नौकरियों में विशेष आरक्षण प्रदान करने के लिए अब तक न तो केंद्र और न ही राज्य सरकारों ने अपनी मौजूदा भर्ती नीति में कोई विशेष संशोधन किया है और न ही ऐसी किसी राष्ट्रव्यापी नीति को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। इसलिये भविष्य में बेरोजगारी का सामना करने बाले सभी ‘अग्निवीरों’ को नौकरियों में विशेष प्राथमिकता देना एक बड़ा झूठ और भ्रामक गप है।

 

उन्होंने कहा कि युवाओं द्वारा किए जा रहे विरोध को देखते हुए केंद्रीय रक्षा मंत्रालय और अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों ने इन अग्निवीरों को नौकरियों में आरक्षण देने का ऐलान किया हैं लेकिन आरक्षण का कोटा बढ़ाने और मौजूदा आरक्षण में अधिक आरक्षण देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के मद्देनजर ऐसी प्राथमिकता देना कानूनी उल्लंघन होगी और इस तरह के आरक्षण की नई नीति अदालत में नहीं टिकेगी।

 

महिला किसान नेता ने कहा कि ऐसे बेरोजगार अग्निवीरों को नौकरियां प्रदान करने के लिए यदि केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा पूर्व-स्थापित और अनुमोदित मौजूदा आरक्षण नियमों में कोई संशोधन भी किया जाता है, तो ऐसी नयी संशोधन नीति पहले से लाभान्वित अन्य गरीब वर्गों, जातियों और जनजातियों के हितों के लिए गंभीर रूप से नुकसानदेह होगी जिससे समाज में अलगाव की भावना को और बढ़ावा मिलेगा और आगे देश में अराजकता बढ़ने का कारण बन सकती है।

 

इस अल्पकालिक रोजगार योजना का विरोध करते हुए बीबा राजू ने कहा कि पढ़ाई योग्य कम उम्र में सेना में भर्ती करके फिर नौजवानों को बेरोजगार छोड़ देना आर्थिक, सामाजिक और नैतिक मूल्यों के खिलाफ होगा क्योंकि समाज में बढ़ती बेरोजगारी और हथियारों से प्रशिक्षित बेरोजगार जनता यूगोस्लाविया, इथियोपिया और हैती जैसे देशों की तरह भारत में भी भीषण सामाजिक बुराइयों और हिंसात्मक प्रवृत्तियों को जन्म दे सकती है।

महिला नेता ने ‘अग्निपथ’ योजना को तत्काल रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि कोरोना काल में पिछले दो साल से सेना भर्ती का इंतजार कर रहे युवाओं को भारत सरकार जल्द से जल्द भर्ती करके सेवा-निवृत्ति तक देश सेवा का मौका दे और अस्थायी रंगरूटों के सहारे से देश की सुरक्षा के साथ समझौता न करें।

 

सशस्त्र बलों में स्थायी भर्ती की मांग करते हुए बीबा राजू ने कहा कि तीनों सेनाओं में अल्पावधि रोजगार देने की भाजपा सरकार की योजना पूरी तरह से गलत है और मानव व मौलिक अधिकारों सहित स्थापित सैन्य मानदंडों का उल्लंघन भी है जिससे सदियों से अलग अलग रेजिमेंट बनाने की चली आ रही परंपरा समाप्त हो जाएगी क्योंकि आरएसएस की सोच और मार्गदर्शन के अनुसार सेना में लागू की जा रही इस ‘ऑल इंडिया-ऑल क्लासेज’ नामक नई योजना के तहत सभी धर्मों और जातीओं के युवाओं को एक साथ एक रेजिमेंट में रखा जाएगा।

 

 

 

 

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