भारतीय सेना ने पिथौरागढ़ में पहला सामुदायिक रेडियो स्टेशन ‘पंचशूल पल्स’ किया उद्घाटन

 

पिथौरागढ़

रणनीतिक संचार, सांस्कृतिक संरक्षण और जमीनी स्तर पर सशक्तिकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए, लेफ्टिनेंट जनरल अनिन्द्या सेनगुप्ता, PVSM, UYSM, AVSM, YSM, जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, मुख्यालय सेंट्रल कमांड ने कुमाऊं क्षेत्र के पहले सामुदायिक रेडियो स्टेशन ‘पंचशूल पल्स’ का पिथौरागढ़ में उद्घाटन किया।

अग्रिम क्षेत्र पिथौरागढ़ में स्थित ‘पंचशूल पल्स’ भारतीय सेना की एक अग्रणी पहल है, जिसका उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों की आवाज़ बनना, स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देना, जनसमस्याओं पर चर्चा करना और पर्यटकों को मौसम व सड़कों की स्थिति की जानकारी देना तथा स्थानीय नागरिकों तक सही और ताज़ा सूचनाएं पहुंचाना है।

यह सामुदायिक रेडियो स्टेशन सेना, सिविल प्रशासन और एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के पास स्थित दूरस्थ गांवों के नागरिकों के बीच संचार का एक सशक्त माध्यम बनेगा। स्थानीय भाषाओं और बोलियों में प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों के माध्यम से, “पंचशूल पल्स” (जिसका टैगलाइन है “हिल से दिल तक”) में निम्नलिखित विषयों पर प्रसारण किया जाएगा:

स्थानीय समस्याओं, विकास से जुड़ी चुनौतियों और सरकारी योजनाओं पर चर्चाएंग्रा

मीणों, युवाओं, पूर्व सैनिकों, महिला नेतृत्वकर्ताओं और सशस्त्र बलों के साथ साक्षात्कार

 

कुमाऊंनी परंपराओं, लोक संगीत, बॉलीवुड व हिंदी गीतों, त्योहारों और मौखिक इतिहास पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम

 

• शिक्षा, स्वास्थ्य, डिजिटल साक्षरता, आपदा प्रबंधन और मौसम की जानकारी पर जागरूकता कार्यक्रम

 

• पर्यटकों और स्थानीय नागरिकों को मौसम व मार्ग की स्थिति की सटीक जानकारी प्रदान करने के लिए सूचना प्रसारण

 

4. पंचशूल पर्वत श्रृंखला की पृष्ठभूमि में बसे इस रेडियो स्टेशन का नाम उस दृढ़ता और जड़ता का प्रतीक है, जो इस सीमावर्ती क्षेत्र की पहचान है। यह पहल भारत सरकार की ‘वाइब्रेंट विलेजेज़ प्रोग्राम’ के उद्देश्यों के अनुरूप है, जिसका लक्ष्य सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे, कनेक्टिविटी और जागरूकता को सुदृढ़ करना है। यह केवल समावेशी संचार की दिशा में एक कदम नहीं है, बल्कि सूचना सुरक्षा, युवाओं की भागीदारी और कुमाऊं की सांस्कृतिक आत्मा को संरक्षित करने का एक सशक्त माध्यम भी है

स्टेशन के उद्घाटन के अवसर पर जनरल ऑफिसर ने इस पहल के लिए परियाशों की सरहना की और स्थानीय निवासिओं से “पंचशूल पल्स” का समर्थन करेने का अग्र्हे किया ताकि यह सीमा क्षेत्रों के लोगों के दिल कि आवाज़ बन सके और उनकी संस्कृति और परम्परों को सुरक्षित करते हुए उन्हें जोड़ सके

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