पंजाबी संस्कृति के प्रसार के लिए गुरुमुखी, गुरबानी और गतके को बढ़ावा दें : हरजीत ग्रेवाल

पंजाब

8वें विश्व पंजाबी सम्मेलन में संस्कृति के संरक्षण के लिए ग्रेवाल ने की “3जी” की वकालत*

चंडीगढ़

वैश्वीकरण और आधुनिकता के युग में आ रही चुनौतियों के बीच पंजाबी कल्चरल कौंसिल के चेयरमैन हरजीत सिंह ग्रेवाल ने पंजाब की समृद्ध प्राचीन विरासत के मुख्य स्तंभों के रूप में तीन “गग्गा” (3जी), यानी गुरमुखी, गुरबानी और गतका, को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया ताकि आने वाली पीढ़ियां मूल पंजाबी विरासत से जुड़ी रहें।

उन्होंने यह अवधारणा ब्रैम्पटन, टोरंटो में आयोजित 8वें विश्व पंजाबी सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रस्तुत की। अपनी प्रभावशाली प्रस्तुति में राज्य पुरस्कार विजेता ग्रेवाल ने वर्तमान युग में वैश्विक पंजाबी समुदाय के लिए एकता, अद्वितीय पहचान और समृद्ध विरासत के एक स्थायी और गौरवशाली प्रतीक के रूप में गुरुमुखी के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक भूमिका के अलावा, गुरमुखी ने पीढ़ी-दर-पीढ़ी गुरबानी, गुरसिखी, साहित्य, कविता, ज्ञान और बौद्धिकता के संरक्षण, प्रचार-प्रसार और शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

इंटरनेशनल सिख मार्शल आर्ट काउंसिल के अध्यक्ष और वर्ल्ड गतका फेडरेशन के अध्यक्ष ग्रेवाल ने सिख युद्ध कला की समृद्ध विरासत के बारे में बात करते हुए ग्रेवाल ने कहा कि गतका का बड़ा ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि यह पंजाबियों की बहादुरी, साहस और दिलेरी की भावना का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने कहा कि लगभग 600 साल पुराना यह मार्शल आर्ट पंजाबी संस्कृति का एक अभिन्न अंग है जो दुनिया भर में समुदाय की महान, पवित्र और अदम्य भावना का प्रतीक है।

अपने संबोधन में गतका प्रमोटर ग्रेवाल ने वैश्वीकरण की चुनौतियों और युवा पीढ़ी के बीच पंजाबी भाषा, सांस्कृतिक मूल्यों और परंपराओं के हो रहे नुकसान को देखते हुए तीन मुख्य स्तंभों (गुरमुखी, गुरबानी और गतके) को संरक्षित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रौद्योगिकी और उन्नति के इस युग में, समुदाय की जड़ों को दृढ़ बनाए रखने, गुरसिखी, पंजाबी और पंजाबियत की पहचान को सदैव विद्यमान रखने के लिए मातृभाषा और विरासत का प्रचार-पसार करना बहुत महत्वपूर्ण है।

तीन “गग्गा” को बढ़ावा देने की वकालत करते हुए, इस सिख बौद्धिक अधिकारी ने कहा कि पंजाबी सांस्कृति में गुरुमुखी, गुरबानी और गतका का अटूट संबंध है। इन अमूल्य सांस्कृतिक और आध्यात्मिक खजानों को अपनाना न केवल हमारी विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देना है, बल्कि दुनिया भर के पंजाबियों के बीच अपनेपन और गर्व की भावना को बढ़ाना भी है।

पंजाब की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि पंजाबी संस्कृति के बुनियादी सिद्धांतों को मजबूत करना और लोगों में साहस, बहादुरी, दृढ़ता और दूसरों के प्रति सम्मान जैसे मूल्य पैदा करना विरासती मार्शल आर्ट में निहित हैं।

ग्रेवाल ने प्रवासी समुदाय से सामूहिक रूप से यह सुनिश्चित करने की अपील की कि ये विरासत, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्तंभ फलते-फूलते रहें और भावी पीढ़ियों को हमेशा प्रेरित करते रहें। उन्होंने इस सम्मेलन के माध्यम से बौद्धिक आदान-प्रदान, शैक्षिक पहल, सांस्कृतिक गतिविधियों और गतका के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करने के लिए ज्ञान सिंह कंग, कमलजीत सिंह लाली, प्रो. जागीर सिंह काहलों, चमकौर सिंह माछीके और इरविंदर सिंह अहलूवालिया आदि आयोजकों की सराहना की।

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