गर्भावस्था के दौरान माताओं की मौत दर को घटाने के लिए पंजाब ने बहुत तरक्की की : स्वास्थ्य मंत्री चेतन सिंह जौड़ामाजरा

पंजाब

गर्भावस्था के दौरान माताओं की मौत दर को घटाने के लिए पंजाब ने बहुत तरक्की की : स्वास्थ्य मंत्री चेतन सिंह जौड़ामाजरा

पंजाब में 2023 के अंत तक 38 जच्चा-बच्चा अस्पताल होंगे : स्वास्थ्य मंत्री

जच्चा मौत दर 129 से कम होकर 105 हुई

चंडीगढ़………भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार की वचनबद्धता के अनुसार, पंजाब ने प्रसूति के दौरान माताओं की मौत दर कम करने में बहुत तरक्की की है। इस महत्वपूर्ण प्राप्ति के बारे और जानकारी देते हुये स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री चेतन सिंह जौड़ामाजरा ने बताया कि उक्त जानकारी भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी ताज़ा आंकड़ों के अनुसार है। पंजाब में गर्भावस्था के दौरान माताओं की मौत दर 129 से कम होकर 105 तक आ गई है जोकि 13.93 प्रतिशत की कमी दर्शाती है।

ज़िक्रयोग्य है कि किसी महिला की गर्भावस्था के दौरान या गर्भावस्था के 42 दिनों के अंदर मौत हो जाने को मैटरनल मोरटैलिटी (जच्चा की मौत) रेट को जच्चा मौत दर माना जाता है।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री चेतन सिंह जौड़ामाजरा ने बताया कि एम. एम. आर. राज्य के स्वास्थ्य और सामाजिक आर्थिक विकास का मुख्य सूचक है और पंजाब ऐसी प्राप्तियाँ करके नयी राह पर जा रहा है। एम. एम. आर. में इस निरंतर कमी से हम 2030 तक 70 प्रति लाख जीवंत जन्म के स्थायी विकास लक्ष्य ( एस. डी. जी.) के लक्ष्य को प्राप्त करने के रास्ते पर हैं।

यह सब, मुख्यमंत्री भगवंत मान के योग्य नेतृत्व में राज्य के स्वास्थ्य ढांचे में सुधार के लिए किये जा रहे ज़बरदस्त यत्नों स्वरूप संभव हो सका है।

श्री जौड़ामाजरा ने माताओं की मौतों के कारणों के बारे बात करते हुए बताया कि औरतों की जनन उम्र ( 18 से 39 साल) के दौरान मौत के कई कारण होते हैं, जैसे कि अनीमिया, प्रसूति के बाद ख़ून बहना, मल्टीपल प्रैगनैंसीज़, बच्चों के जन्म में समय का कम फासला और बुरे परिवार नियोजन ढंग आदि। उन्होंने साथ ही जच्चा-बच्चा की देखभाल के क्षेत्र में स्वास्थ्य सुधार के अलग-अलग उपायों जैसे कि 34 समर्पित जच्चा और बच्चा अस्पतालों का संचालन, पंजाब में संस्थागत प्रसूति की उच्च प्रतिशतता, अनीमिया मुक्त भारत ( अनीमिया मुक्त भारत), सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (सुमन), लेबर रूम क्वालिटी इम्परूवमैंट इनीशीएटिव (लक्ष्य), प्रधान मंत्री मातृ वन्दना योजना ( पीऐमऐमवीवायी), जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम ( जेऐसऐसके), जननी सुरक्षा योजना ( जेऐसवायी), प्रधान मंत्री सुरक्षा मात्व अभियान ( पीऐमऐसऐमए) को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग पंजाब की सराहना की।

पंजाब के स्वास्थ्य विभाग की तरफ से भविष्य में उठाये जाने वाले कदमों के बारे विस्तार में बताते हुये श्री जौड़ामाजरा ने कहा कि पंजाब एस. डी. जी. लक्ष्यों के अनुसार माताओं की मौत दर को और घटाने के लिए तनदेही से यत्नशील रहेगा। उन्होंने कहा कि सिजेरियन सैक्शन के द्वारा प्रसूतियों की जगह आम प्रसूति को उत्साहित करने के लिए, पंजाब एक नया कैडर भी लिया रहा है – नर्स प्रैक्टिशनर इन मिडवाईफरी ( ऐनपीऐम)। इसके लिए पटियाला के माता कौशल्या स्कूल आफ नरसिंग में नेशनल मिडवाईफरी ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट ( एन. एम. टी. आई.) शुरू किया गया है, जहाँ राज्य सरकार की तरफ से संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के सहयोग से मिडवाईफरी ऐजूकेटरज़ के पहले बैच को पढ़ाने के लिए न्यूजीलैंड, इंग्लैंड और कीनिया से अंतरराष्ट्रीय मिडवाईफरी ऐजूकेटर भी लाए गए हैं। इस मंतव्य के लिए चुने गए 16 राज्यों में से पंजाब इस प्रतिष्ठित संस्था को शुरू करने वाला तीसरा राज्य है। इसके इलावा, पंजाब विस्तृत प्रधान मंत्री सुरक्षा मातृत्व अभ्यान ( पी. एम. एस. एम. ए.) को सफलतापूर्वक लागू कर रहा है, जिसके द्वारा सभी उच्च जोखिम वाली गर्भवती औरतों को ट्रैक किया जा रहा है और उनको फ़ाल्तू तीन ए.एन.सी. प्रदान की जा रही हैं जोकि नज़दीकी स्वास्थ्य संस्था में मैडीकल अफ़सर द्वारा की जाती हैं। गर्भवती औरत को ट्रांसपोर्ट सहायता के तौर पर प्रति विज़ट 100 रुपए दिए जाते हैं।

स्वास्थ्य मंत्री ने आम लोगों से अपील की कि वह घर में प्रसूति या ग़ैर-शिक्षित ढंग आदि के द्वारा प्रसूति से पूरी तरह गुरेज़ करें, वास्तव में उनको सरकारी स्वास्थ्य संस्था का चयन करना चाहिए जहाँ उनको मुफ़्त प्रसूति सेवाएं, पोषण सहायता और मुफ़्त यातायात की सहूलतें प्रदान की जाती हैं।

 

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