आज 21 दिसंबर है आज के दिन गुरु गोबिंद सिंह जी अपने दो साहबजादे साहेब अजीत सिंह साहेब जुझार सिंह और 5 प्यारे और उनके साथ सिख योदे चमकौर साहिब पहुंचे

आज 21 दिसंबर है आज के दिन गुरु गोबिंद सिंह जी अपने दो साहबजादे साहेब अजीत सिंह साहेब जुझार सिंह और 5 प्यारे और उनके साथ सिख योदे चमकौर साहिब पहुंचे और खुले मैदान में थे वहां पर ही उनका एक अनन्य सेवक भाई चौधरी रहता था
जब उसको पता लगा तो उसने गुरु गोविंद सिंह जी को भाई चौधरी ने बेनती की आप मेरे घर चलें गुरु गोविंद सिंह जी ने कहा मेरे पीछे लाखों फौजी लगी हुई है तुम्हारे घर चलने पर फौजै तुम्हारे घर को भी घेर लेंगी परंतु भाई चौधरी ने कहा कि आपसे भी तो हम हमेशा विनती करते थे कि हमारे घर चलो परंतु आप नहीं पहुंच पाए आज तो आए हुए हैं आप मेरे घर चलो और भाई चौधरी उनको अपने घर ले गया और सेवा की शाम हो रही थी गुरु आर्मी गोविंद सिंह जी ने कहा कि तुम्हारी गढ़ी जो खाली है हम वहां जाकर ही रहेंगे
गुरु गोविंद सिंह जी अपनी। आर्मी और दो साहबजादे और पांच प्यारों के साथ चमकौर गढ़ी में पहुंच गए उधर औरंगजेब और पहाड़ी राज्यों की Army सिरसा नदी को पार नहीं कर पाए क्योंकि सिरसा उफान पर थी जैसे ही सरसा नदी कम हुई तो लाखों की तादाद में आर्मी ने चमकोर की गड़ी को घेर लिया क्योंकि शाम हो चुकी थी कोई लड़ाई नहीं हो सकती थी चमकौर की गड़ी में गुरुजी और उनके सिख यौद्धे और साहिब जादे थे और चमकौर गढ़ी के चारों तरफ फौजैथी चमकौर की घड़ी के गेट पर कुछ सिख चौकीदारी करने के लिए खड़े हो गए और गुरु गोविंद सिंह जी अपने भूखे सिखो और साहेबजादो को निहार रहे थे अल्लाह यार खान लिखता है कि इस समय गुरु गोविंद सिंह जी पांच प्यारों को यह कह रहे हो कि यही वह स्थान है
जहां अपने साहिब जादों की शहीदी करवा दूगा क्योंकि जब पांच प्यारों को गुरु गोविंद सिंह जी ने कहा कि अब आप मुझे भी अमृत छक्काओ और सिंह सजाओ तब पांच प्यारों ने कहा हम तो अपना शीश देकर सिंह सजे हैं तो आप सिंह सजने से पहले हमें क्या देंगे तो गुरु गोविंद सिंह जी से कहा था कि मैं इस देश की जनता पर हो रहे अत्याचार की रक्षा के लिए अपना पूरा सर्वंश वार दूंगा ।
और पिता, चारो पुत्र हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए कुर्बान कर दिए लेकिन आज पूरा संसार इस क़ुरबानी को भूलता जा रहा है